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Thursday, August 12, 2010

ग़ुबार

आपकी बातों का मजमा...लहजे से मेरी छंट.ता ही नहीं....
अजीब सरफिरा ख्वाब है...आँखों से मेरी हट.ता.ही नहीं....

किस आवारा जिद पे अडा...काफिर जवान सा वक़्त है मेरा....
संवारता भी है..बिखरता भी है..बस कमबख्त कट.ता ही नहीं...

सुरूर है...खुमार है...बेज़ार है ...या..बीमार है...
जो भी है..आपका ही है....निशाँ भी है...मिट.ता ही नहीं...

मैं डब-डबा के रह गया...उन आखों की झील में...
रात फिसलकर बह गयी....चाँद है के बस..छूट.ता ही नहीं ...

मेरे नशे के जिस्म-ओ-जान...मेरे ख्वाब से भी बेहतर हैं...
यह टूटें तो टूट जाएँ...बदन कभी टूट.ता ही नहीं....

कहते न थे तुमसे "नीरज"...कुछ भी होगा जनाज़े पर...
क्या ना-मुराद सा फन है मेरा...लाख लुटाये लुट.ता ही नहीं....

3 comments:

  1. !! The fight in the dog is getting bigger !!

    Good stuff, keep going...I'll see you at the top!!

    Wish you a very Happy Birthday, Success and all that you desire..


    - - -
    Ek Dost.
    - - -

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  2. Geeta: hey u havent posted that interesting one (the one u think is inappropriate etc.); nor the sarcastic one. pls post those. thanks.

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