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Saturday, June 19, 2010

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अब के मिले तो जाना...वोही बात करेंगे हम....
सुबह-ओ-शाम पिघलाकर....रात करेंगे हम....

इस जहां में फुरसतों के... ग़म तो बहुत हैं....
आसमान पे चलकर....मुलाक़ात करेंगे हम....

निचोड़कर बदन से....सारे... ताब-ओ-होश....
तब सुर्ख-रूह कोई.... जज़्बात करेंगे हम...

रह गया है..ठहर के...सुकून किसी गुबार में...
बादलों को खोलकर...बरसात करेंगे हम....

तुम कहो... तो जान...तुम्हे न याद करेंगे हम...
तुम कहो तो सारी हिचकियाँ...बर्बाद करेंगे हम...

लिखकर तुम्हारे नाम पर...सारे अरमान-ओ-यकीन...
मशहूर तेरे नाम पर... कायनात करेंगे हम...

ज़िन्दगी तो हर शख्स को मालूम है..."नीरज"...
कभी किसी को ग़ालिब..कभी...सुकरात करेंगे हम....

1 comment:

  1. Geeta: Its been a while since i was here last, and its good to see the progress made since :)
    THis is very good verse, consistent quality throughout. Though I didnt quite get the maqtaa :(

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